आंखों में आंसू, सीने में अपने माता-पिता के हत्या का दर्द और पुलिस की नाकामी। ऊपर से साथ देने का वादा करने वाले नेताओं ने भी एक सप्ताह का समय लेकर गुपचुप किनारा कर लिया। इससे व्यथित भयभीत बच्चों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से सोमवार को दो टूक कह दिया कि आठ दिन बाद उनकी मौत का लाइव देखेंगे। माता-पिता हमने खोए हैं और हमारे दर्द पर नेतागिरी की जा रही है। थाना हाईवे क्षेत्र की अमर कॉलोनी में आठ-नौ मार्च की रात में बनवारी सिंह और उनकी पत्नी रविवाला की निर्मम हत्या कर बदमाश घर खंगाल ले गए। दंपती का पुत्र राहुल सिंह और दो बेटियां राखी और दीपा अनाथ हो गए। दाने-दाने को मोहताज हुए इन बच्चों की मदद के लिए डीएम अर¨वद मलप्पा और तत्कालीन एसएसपी विनोद कुमार मिश्र भी पहुंचे। सांसद हेमामालिनी और पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने अनाथ बच्चों को न्याय दिलाने का वायदा किया। जाट नेता जेएस जाट और उनका संगठन भी बच्चों के साथ खड़ा रहा। इसके बावजूद अधिकारियों के एक के बाद एक अश्वासन के बाद दंपती की हत्या रहस्य बनकर रह गई। सोमवार को एक बार फिर राखी के साथ रालोद के जिलाध्यक्ष रामवीर सिंह भरंगर, कुंवर नरेंद्र सिंह, ताराचंद गोस्वामी, डॉ. अशोक अग्रवाल, रवींद्र नरवार डीएम कार्यालय दोपहर करीब एक बजे पहुंचे। उस समय वहां डिप्टी कलक्टर हरीशंकर फरियाद सुन रहे थे। बाद में एसपी सिटी श्रवण कुमार भी पहुंच गए। नेताओं ने नारेबाजी की, ज्ञापन दिया और एक सप्ताह में दोहरे हत्याकांड का पुलिस और प्रशासन से आश्वासन लेकर चुपके से तीनों अनाथ बच्चों को वहीं छोड़कर खिसक गए। इससे बच्चे आहत हो गए और उनकी आंखें नम हो गई। नेताओं ने बच्चों को धरना-प्रदर्शन के साथ क्रमिक हड़ताल करने के साथ बच्चों का साथ न छोड़ने का दावा किया था। मगर, नेताओं की कलाबाजी से आहत तीनों बच्चे फट पड़े और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के सामने दो टूक कहा कि आठ दिन बाद उनकी मौत का लाइव देखिएगा।
नेतागिरी से क्षुब्द बच्चे बोले , बस कीजिये नेतागिरी , या तो मिले न्याय अन्यथा आठ दिन बाद हमारी मौत का जिम्मेदार होगा प्रशासन।
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