वृन्दावन में गरीबों के आशियाने पर महाबली ताने प्रशासन महोली रोड पर हुए अवैध कब्जों पर मौन है। हाईकोर्ट ने औद्योगिक क्षेत्र में अवैध कब्जों की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी से तलब कर ली है। हाईकोर्ट ने यूपीएसआइडीसी से भी पूछा है कि उसने यहां के चार पार्क कहां शिफ्ट कर दिए हैं ? असल में इंडस्ट्रियल एरिया में छोड़ी गई पार्कों की जमीन अधिकारी और भूमाफियाओं के गठजोड़ ने प्लाट बनाकर बेच दी है। आज पार्कों की जगह पर इमारतें खड़ी हैं। इस आदेश से न केवल जिला प्रशासन, यूपीएसआइडीसी, जयगुरुदेव संस्था, बल्कि अवैध कब्जाधारियों में भी हड़कंप मच गया है। यूपीएसआइडीसी ने यहां 60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। बताते चलें कि इस अधिग्रहण के खिलाफ जय गुरुदेव संस्था और किसान न्यायालय चले गए और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाते हुए अधिग्रहण को गलत बताते हुए निरस्त कर दिया। मगर यूपीएसआइडीसी अपना काम करती रही और उसने एक बड़े भाग में प्लाट काटकर बेच दिए। यूपीएसआइडीसी ने तब इस इलाके में पार्कों के लिए जमीन भी छोड़ी। अफसर और माफिया के गठबंधन से पार्कों की जमीन पर प्लाट काटकर बेचे जाने लगे। नियमों के मुताबिक पार्कों की जमीन को किसी भी स्थिति में बेचा नहीं जा सकता था। इस जमीन में पन्ना पोखर का वह हिस्सा भी था जिसे पार्क बनाने के लिए छोड़ा गया। अफसरों ने अवैध रूप से पार्कों में भी आवंटन करना शुरू कर दिया। यहां स्थापित पार्क पी-वन, पी-टू, पी-3 भी बेच दिए गए। वर्तमान में यहां पार्कों में स्कूल, गैराज, कामर्शियल भवन आदि बने हुए हैं। यहां की पन्ना पोखर भी कई साल पहले बेच दी गई है। अवैध कब्जों के खिलाफ जयगुरुदेव विचार संस्थान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। भाजपा नेता हेमंत अग्रवाल ने भी इंडस्ट्रियल एरिया के अवैध कब्जों का पूरा मसौदा हाईकोर्ट को उपलब्ध कराया है। जिलाधिकारी अरविन्द मलप्पा बंगारी ने कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश अभी उन्हें नहीं मिला है। आदेश पत्र मिलते ही जांच शुरू की जाएगी और अनुपालन कराया जाएगा।
महोली रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र पर हुआ अवैध कब्ज़ा, प्रशासन मौन।
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