साइबर हैकिंग: लालच के लॉलीपॉप में फंसाने का धंधा

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मीडिया में अपराधियों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताने का चलन है। उसको इतना शातिर, इतना ख़तरनाक बताया जाता है कि पूछिए मत। यूं लगता है कि उसका दिमाग़ सुपर कंप्यूटर है। उसके हाथ दुनिया में सबसे लंबे हैं. वो शातिरानां चालों का उस्ताद है। कुल मिलाकर किसी भी अपराधी को यूं पेश किया जाता है मानो दुनिया की गर्दन उसकी मुट्ठी में है। वो जब चाहे उसे अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ मरोड़ सकता है। माफ़िया डॉन हों या फिर साइबर अपराधी, सब के बारे में ऐसे ही दावे किए जाते हैं, बढ़ा-चढ़ाकर कहानियां गढ़ी जाती हैं।

डिजिटल सुरक्षा
अक्सर साइबर अपराधी देश की अहम साइबर संपत्तियों को निशाना बनाते हैं। पिछले महीने रैनसमवेयर का हमला हुआ। इसे अंजाम देने वाले अपराधी हफ़्ता वसूली जैसे प्रोटेक्शन मनी मांग रहे थे। तो, क्या वाक़ई साइबर अपराधी इतने शातिर, इतने ख़तरनाक होते हैं?
जब भी बड़े या छोटे साइबर अटैक होते हैं, तो हमें बताया जाता है कि इसे अंजाम देने वालों ने कितने पेचीदा और सुरक्षित नेटवर्क को निशाना बनाया है।
हमारी डिजिटल सुरक्षा कमज़ोर हो गई है। मगर जानकार कहते हैं कि साइबर अपराधी भी आम अपराधियों जैसे ही होते हैं। वो आलसी होते हैं, फटाफट पैसे कमाना चाहते हैं।

ये अपराधी अक्सर तेज़ तर्रार युवाओं को इस काम के लिए इस्तेमाल करते हैं। ये आपके खाते से लेकर आपके कंप्यूटर तक को निशाना बनाते हैं।

साइबर हमले के ख़तर से कैसे बचें?

ब्रिटेन की सरे यूनिवर्सिटी के साइबर एक्सपर्ट एलन वुडवार्ड कहते हैं कि साइबर अपराधी असल में हमारे सुरक्षा के इंतज़ामों को चुनौती देते हैं। वो हमें चिढ़ाते हैं कि देखो तुम्हारी साइबर सुरक्षा कितनी कमज़ोर है। बहुत से परंपरागत अपराधी अब डिजिटल जुर्म की दुनिया में दिलचस्पी लेने लगे हैं। एलन वुडवर्ड कहते हैं कि इन अपराधियों को तकनीकी जानकारी होती नहीं। इसलिए वो युवाओं को पैसे का लालच देकर अपने साथ जोड़ते हैं।
ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि हैकिंग करने वालों की औसत उम्र क़रीब 17 बरस होती है। ये वेबसाइट पर हमला करके उनके चेहरे बिगाड़ते हैं। डेटा चुराते हैं और निजी कंप्यूटरों को निशाना बनाते हैं। आज पूरी दुनिया इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब के ज़रिए एक दूसरे से जुड़ गई है पर सुरक्षा के इंतज़ाम बेहद कमज़ोर हैं। इसी वजह से साइबर अपराध दिनों-दिन बढ़ रहे हैं। एलन वुडवर्ड कहते हैं कि अक्सर हम अपने लालच की वजह से हैकर्स का निशाना बनते हैं।

वो स्पैम मेल के ज़रिए धोखे के जाल में फंसते हैं। अक्सर साइबर अपराधी लोगों को लालच देते हैं कि फलां लिंक पर क्लिक करने से उनके खातों में लाखों रुपए आ जाएंगे। बस, लालच में आपने वो मेल खोला नहीं कि आप हो गए साइबर हमले के शिकार। कई बार कुछ ख़ास चीज़ों का लालच हमें डिजिटल माफिया का शिकार बनाता है। जैसे कि ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद फ़ेसबुक इस्तेमाल करने वालों के पास एक लिंक आया था। लिंक में ये कहा गया था कि उस पर लिंक करने पर ओसामा के आख़िरी पलों का वीडियो देखने को मिलेगा। मगर असल में वो एक वायरस था, जो लोगों के डेटा चोरी कर रहा था।
कुल मिलाकर ये साइबर अपराधी आम मुजरिमों जैसे होते हैं। जो ज़्यादा मेहनत किए बग़ैर ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाना चाहते हैं। इनके पास तकनीक की ज़्यादा जानकारी नहीं होती और अब तो ऐसे ज़्यादातर अपराधी पकड़े जा रहे हैं।

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