मथुरा: भारत के ७१वें स्वतत्रंता दिवस के मौके पर कुछ समाजसेवियों ने दरियादिली दिखाई और अर्थदंड के पैसे न होने की वजह से जेल की चारदीवारी से बाहर आने को तड़प रहे दस बंदियों का अर्थदंड चुका उन्हें मुक्त करा दिया। जिला जेल में एक दर्जन से अधिक ऐसे बंदी हैं जो अर्थदंड न चुका पाने के कारण जेल की सलाखों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उनको मुक्त कराने के लिए जेल प्रशासन भी प्रयासरत था। इसी के चलते शहर के समाजसेवियों ने जेल में बंद दस बंदियों का अर्थदंड चुकाकर 15 अगस्त को उन्हें जेल से आजाद करा दिया। जेल से मुक्त होने वाले बंदियों में कुलदीप पुत्र ब्रजलाल निवासी औरंगाबाद सदर बाजार, नितिन पुत्र अशोक निवासी रैपुरा जाट फरह, मुकेश पुत्र छोटे लाल निवासी बछगांव, पचोखरा फीरोजाबाद, दीपक पुत्र भवानी, गो¨वद गिरी पुत्र हवालाल निवासी आदेश नगर जयपुर, वालेंद्र कुमार तिवारी पुत्र नरेंद्र कुमार तिवारी निवासी बमौरी, वेतदान चरखारी महोवा, सुरेश कुशवाह पुत्र रामअवध निवासी कोहड़ा पवई आजमगढ़, आदेश पुत्र देवेंद्र सिंह निवासी नगला देवी हरदुआगंज अलीगढ़, अतुल कुमार पुत्र मोहन लाल निवासी बाबा का पुरबा फंफूद औरेया पन्ना पुत्र दुर्गा निवासी बाढपुरा सदर बाजार मथुरा हैं। इन सभी पर करीब 25 हजार रुपये का अर्थदंड था जो कि मोहम्मद जमील ताज होटल, सुनील अग्रवाल स्वीटी सुपारी, पंडित अजय शर्मा, कन्हैया मित्तल, वृंदावन बाल विकास परिषद ने चुकाया। मथुरा जेल के अधिकारियों के अनुसार अभी कुछ और ऐसी बंदी हैं जिन्हे न्यायालय से रिहा करने के आदेश हैं किन्तु अर्थदंड न चुकाने की स्थिति में जेल में ही बंद हैं।
मथुरा नगर के समाजसेवियों के योगदान से रिहा हुए दस बंदी।
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