अब निजता भी मौलिक अधिकार, नौ जजों की संविधान पीठ का ऐतिहासिक फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही दो पुराने फैसलों को किया खारिज।

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संविधान लागू होने के 67 साल बाद भारतीय नागरिकों को निजता का मौलिक अधिकार हासिल हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए निजता को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का ही हिस्सा है। यह संविधान के भाग तीन में मिले मौलिक अधिकारों में सन्निहित है। इस तरह संविधान पीठ ने एमपी शर्मा और खड़क सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उन अंशों को खारिज कर दिया है, जिनमें निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना गया था।अब कोई भी व्यक्ति या सरकार बिना किसी तर्कसंगत कानूनी आधार के किसी व्यक्ति की निजता में बेवजह दखल नहीं दे सकता। निजता को मौलिक अधिकार की हैसियत मिलने के बाद डिजिटल युग में एकत्रित डाटा सुरक्षित रखना और उसे लीक होने से बचाना एक बड़ी चुनौती होगी।

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