जिस माँ के आँचल तले छाँव मिलती है , जिस आँचल में दुनिया के सारे संकट दूर रहते हैं , उसी आँचल से आखिर कैसे वो अभागी माँ अपने कलेजे के टुकड़ों को मौत की नींद सुला खुद भी चिरनिंद्रा में सो गयी ? अल सुबह उठकर उसने अपने मजदूर पति के लिए खाने का टिफिन लगाया , चारों बच्चों को चाय बनाकर पिलाई और नाश्ता परोसा और फिर चंद घंटों के बाद एक , एक कर सबको मौत की नींद सुला दिया। गांव में हर ओर मातम पसरा है और हर कोई अब यही दुआ कर रहा है कि हे भगवान ऐसी गरीबी किसी को न देना। फरह के गांव बिरौना में रविवार शाम शारदा ने मुफलिसी के चलते चार बच्चों का गला घोंटकर खुद भी जान दे दी। पूरा गांव इस दिल दहलाने वाली घटना से अवाक है। सवाल तो ये भी है कि तीन बेटियों और एक बेटे के साथ मां ऐसी निर्ममता कैसे कर सकती है? जो भी घटनास्थल पर पहुंचा, पांच शव देखकर अपने आंसू नहीं रोक सका। ऐसा हृदय विदारक दृश्य देख एसएसपी समेत सभी पुलिस कर्मियों का हृदय द्रवित हो गया।
आजादी के सत्तर साल बाद भी कहाँ पहुँचा हमारा देश , मुफलिसी और आत्महत्या
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