तो आरएसएस के कानूनी वज़ूद को होगा खतरा

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इस खबर के शीर्षक को पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है जबकि आरएसएस 27 सितम्बर 1925 से भारत में कार्य कर रहा है और देश में उसके करोड़ों स्वयंसेवक हैं। जी हाँ , ये संभव है। आरएसएस एक ऐसा संगठन है जिसकी हज़ारों शाखाएं लगती हैं किन्तु ये भारत के किसी भी कानून और संस्था के अंतर्गत कहीं पंजीकृत नहीं है। नागपुर के एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने इसी का लाभ उठाते हुए संघ के नाम से संगठन को रजिस्टर्ड कराने हेतु आवेदन किया है। तकनीकी रूप से अगर इस संस्था को मान्यता मिल गयी तो आरएसएस के लिए कानूनी मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी और वे इस नाम का इस्तेमाल नही कर पाएंगे।

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