संवेदनहीनता की पराकाष्ठा , टीबी अस्पताल के बाहर घंटों तड़पती रही महिला।

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वृंदावन :  लोकतंत्र का बागबान विकास की बातें करता है , सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा को बुनियादी सेवाओं में रखा गया है।  इन बुनियादी सेवाओं को प्रदान करने के नाम पर तमाम सरकारी और गैरसरकारी संस्थाएँ अपना घर भरती हैं।  लेकिन आज के इस युग में भी एक महिला को टीबी की बीमारी क्या हुई उसकी दुनिया ही उजड़ गई। उसका साथ पति सहित परिजनों ने भी छोड़ दिया। पिछले छह माह से इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही पीड़िता टीवी अस्पताल के सामने सड़क पर अंतिम सांसें गिन रही थी। घंटों के प्रयास के बाद उसे उपचार मिल सका। सोमवार सुबह एटा के गांव बरौनी गांव निवासी लक्ष्मी पत्नी सतीश (23 वर्ष) मथुरा से एक रिक्शा वाला टीबी सेनेटोरियम में लाया। बदहाल अवस्था में बगैर किसी साथी के वह उपचार के लिए पहुंची। सेनेटोरियम के महाप्रबंधक एसके अग्रवाल ने उसे सौ शैया अस्पताल में स्वास्थ्य जांच के लिए लौटा दिया और कहा कि टीवी की बीमारी होने पर ही यहां उपचार किया जाएगा। भाजपा के जिला संगठन मंत्री रितेश पाठक महिला के उपचार के लिए सौ शैया पहुंचे।

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