मथुरा : आलू मिट्टी से भी सस्ता , आलू का कोई भाव न होने के कारण किसान आलू को जहाँ तहाँ फेंकने पर मज़बूर हैं लेकिन बाजार में आलू का भाव रु 15 से रु 20 प्रति किलो बना हुआ है । आलू किसानों की मानें तो आलू दो – तीन फसल के बाद मुनाफा दे दिया करता था लेकिन इस बार तो पिछली ३ फसलों से आलू घाटे का सौदा बना हुआ है। इस साल तो आलू की ढुलाई भी न मिलने के कारण किसान आलू जहाँ तहाँ फेंकने को मज़बूर हो रहे हैं। दरअसल आलू की इस हालत के जिम्मेदार किसान सरकारी नीतियां को ही बताते हैं। किसानों का कहना है कि आलू की खरीद की कोई सरकारी नीति न होने की वजह से किसानों के लिए सब्ज़ियों का राजा आलू अब किसानों की पहली पसंद नहीं रहा है।
मथुरा बाजार में आलू चौकस लेकिन आलू की खेती से किसान बेदम
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