मथुरा : गया 17 आया 18 क्या हमारा शहर मथुरा कितना बदला ? हमारा जीवन कितना बदला ? मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली होने के कारण पूरे देश में एक अलग ही पहचान रखता है। देश ही नहीं विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रति वर्ष अपने आराध्य के दर्शन हेतु यहाँ पधारते हैं। मथुरा में वर्ष भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। हम ब्रजवासी अपने अतिथियों का खूब धूम धाम से स्वागत करते हैं ये तो हमारा मानना है किन्तु श्रद्धालु यहाँ से धर्म नगरी की क्या इमेज ले कर जा रहे हैं ये सोचना भी काबिल ऐ गौर है ? हर नए वर्ष के साथ हम एक साल और प्रौढ़ावस्था की ओर बढ़ चलते हैं किन्तु क्या हर नया वर्ष हमारे और हमारे नगर की जीवन शैली में कोई सुधार ला सका है , आइये इसका अध्ययन करने की कोशिश करते हैं।
मथुरा में विकास के तमाम वायदे करते हुए कुछ लोग सत्ता की सीढ़ी तो चढ़ गए किन्तु पिछले वर्ष 2017 से इस वर्ष 2018 के बीच नगर में क्या कुछ बदला, क्या कुछ सँवारा गया इसका कोई परिणाम दिखाई नहीं देता। हाँ , लाखों लोगों द्वारा प्रतिदिन इस्तेमाल किये जाने वाला मथुरा जंक्शन स्टेशन का प्लेटफार्म संख्या 1 स्वचालित सीढ़ियों से गुलजार हो अन्य प्लेटफार्म से उपरगामी पुल पर चढ़ने वाले यात्रियों को मुँह चिढ़ाता है। स्टेशन के मुख्य द्वार 2 को बंद करने की योजना इस वर्ष जरूर बनी किन्तु उसके धरातल पर आने की राह हर बृजवासी देख रहा है। मथुरा- वृन्दावन में वर्षों से चल रहा सीवर का कार्य इस वर्ष समाप्त कर लाइनों को शुरू करने का एक बार फिर इस वर्ष का वायदा हुआ था किन्तु अभी तक इसके लिए भी नागरिकों को इंतज़ार करना पड़ेगा। नगर पालिका जरूर निगम बन गई किन्तु कार्य करने का ढर्रा अभी भी वही है अतः 2017 में इसमें भी कोई आमूलचूल परिवर्तन दिखाई नहीं दिया। मथुरा का हृदय स्थल होली गेट आज भी जल भराव की समस्या से ग्रसित है। नगर की सडकों में कुछ परिवर्तन जरूर दिखाई पड़ा है जोकि सुखद है। उद्योग धंधो की सुस्त रफ़्तार का असर मथुरा पर भी पड़ा है जहाँ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या काफी है। आज़ादी से आज तक मथुरा जितना बदला है उतना बदलना अगले २ वर्षों में बाकी है लेकिन ये होगा कैसे ? ये यक्ष प्रश्न सभी बृजवासियों को दिन रात सताता है।
हर बदलते वर्ष के साथ आपका जीवन भी नए आयामों को छूता रहे इसी कामना के साथ मथुरा की आवाज़ की ओर से नूतन वर्ष 2018 की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायेँ।