मजदूरों के पलायन को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं । साथ ही इस मुद्दे पर राजनीति भी गन्दे स्तर की हो रही है । किंतु निर्विवाद सत्य यह है कि हर वर्ष अधिकांशतः निर्माण क्षेत्र में कार्यरत ये श्रमिक गेहूँ की कटाई के सीजन में अपने गाँव वापिस जाते ही हैं । छतरपुर , ललितपुर और उसके आस पास (मध्यप्रदेश) तथा आंशिक रूप से बिहार से आने वाले इन श्रमिकों को आप रोकने की कितनी भी कोशिश कर लीजिए ये नहीं रुकते । इसीलिए covid 19 की इस महामारी के बीच ये वाहन न मिलने पर पैदल ही घरों की तरफ चल पड़े । पहली बारिश आते ही इनकी वापिसी होती है । #राजनीति से परे ये एक रवायत सी बनी हुई है जिसे सभी राज्य सरकारों को सख्ती से रोकना चाहिए । साथ ही इन सभी श्रमिकों के रहने, खाने पीने और स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए । चूँकि श्रमिक हैं तो क्षमता है ।
श्रमिकों के पलायन के पीछे का सत्य ।
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