दरअसल चीन और उसकी कंपनियाँ समय की माँग को तेजी से भाँपते हुए अपने उत्पाद और सेवाएँ देने के लिए जानी जाती रही हैं । कोरोना वायरस के खौफ और दुनिया भर में हुए चरणबद्ध लॉक डाउन से एक साथ कई व्यक्तियों को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मीटिंग करने वाली सुलभ एप्प की माँग भी पैदा हुई । वैसे दुनिया की कई प्रोफैशनल कंपनियाँ माइक्रोसॉफ्ट टीम पर आ चुकी थी लेकिन गैर पेशेवर ग्रुप्स में इसकी माँग ज़बरदस्त थी ।
माँग के साथ भारतीय जनता को मुफ्त की सौगात मिली ज़ूम । ज़ूम एप्लीकेशन ने भारत मे खूब ज़ोर पकड़ा । यहां तक कि सत्ताधारी दल ने भी अपनी मीटिंग ज़ूम से करना शुरू कर दिया । हमे भी एक ग्रुप द्वारा ज़ूम पर एक संवाद के लिए डेलीगेशन में स्थान दिया । खैर डरते डरते एप्लीकेशन इंस्टाल करी, इंस्टाल करते समय उसने हमारी व्यक्तिगत जानकारी को अपने इस्तेमाल की अनुमति माँगी जिसे मजबूरन देना पड़ा । खैर मीटिंग हुई जिसके बाद हमारे पास कुछ टेलीमार्केटिंग और प्रमोशनल कॉल्स आने शुरू हो गए । जिसमे से एक से जब हमने पूछा कि नंबर डी एन डी में पंजीकृत है तो आपको नंबर किसने दिया ? जवाब स्क्रीनशॉट में है
यानि हमारा संदेह बिल्कुल सही था । ज़ूम आपकी निजी जानकारी समेत आपकी मीटिंग को अपने मुनाफे के लिए इस्तेमाल करता है जिसका आप विरोध भी नही कर सकते क्योंकि उसकी अनुमति आपने स्वयं ही इंस्टाल करते हुए दी थी । तुरंत ही हमने ज़ूम अनइंस्टाल कर दी ।
चीनी एप्लिकेशन ज़ूम और उसके मकडज़ाल में उलझे भारतीय ।
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